Tuesday 4 February 2020

मेडिटेशन (ध्यान )क्या है , और इसे कैसे करें ? ध्यान करने की सरल विधियाँ!

यह आध्यात्म का समय चल रहा है। हर जगह आध्यात्म की आध्यात्मिकता की बातें हो रही हैं। यदा-कदा सुनने को मिल जाता है कि मन की शांति चाहिए तो ध्यान करना चाहिए । आख़िर ये ध्यान है क्या! मन में जिज्ञासा उठती है  आखिर यह ध्यान क्या है? इसे करने की विधि क्या है?  यह किस प्रकार से फायदा पहुंचाता है? 

अब तो विज्ञान का भी मानना है कि ध्यान मस्तिष्क को रिलैक्सेशन पहुंचाता है । उसे शांत करता है और यह डिप्रेशन में भी असरकारी है ।आजकल मनोचिकित्सक भी ध्यान की विधियां करने की सलाह देते हैं । अक्सर सुनने में आता है कि ध्यान करने से बौद्धिक क्षमता का विकास भी होता है । और नकारात्मक विचारों से भी मुक्ति मिलती है ।

अगर आप भी ध्यान के विषय में जानने को उत्सुक हैं और इसे करने की विधियां जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को आगे भी पढ़ते रहिए । 

आखिर ध्यान है क्या? 
ध्यान अर्थात फोकस। अंग्रेजी में जिसे कहते हैं कंसंट्रेशन, ध्यान अथवा मेडिटेशन अपने मस्तिष्क को एकाग्र चित्त करने की विधि है । इसको करने की वैसे तो कई विधियां हैं ,परंतु इसमें से कुछ जो अत्यधिक सरल व असरकारी हैं उनका उल्लेख नीचे किया गया है। 

वस्तु पर ध्यान
ध्यान की सबसे सरल और प्रचलित विधि है किसी ऑब्जेक्ट या वस्तु पर ध्यान करना । इस विधि को करने के लिए आप किसी भी स्थान पर सरलता पूर्वक बैठकर दूर की किसी ऑब्जेक्ट पर या वस्तु पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। लोग इसके लिए किसी तस्वीर पर अपना ध्यान केंद्रित करना या फिर किसी मोमबत्ती की लौ पर अपना ध्यान केंद्रित करना, यह विधि उपयोग में लाते हैं। 

अपना फोकस , या ध्यान  किसी एक वस्तु पर लगाकर कुछ देर बैठ सकते हैं । इस ध्यान की विधि से आपका कंसंट्रेशन पावर बढ़ता है और आपका माइंड पावर बढ़ता है ।

स्वासो पर ध्यान 
इसके अलावा दूसरी विधी जो आध्यात्मिक जगत में बहुत प्रचलित है वह है श्वासों के ऊपर ध्यान। स्वास्थ्य पर ध्यान सासु पर ध्यान स्वासो पर ध्यान इस विधि में आप दोनों आंखें बंद करके आसन पर बैठ सकते हैं उसके उपरांत अपनी सांसों को आते और जाते हुए मन की आंखों से देख सकते हैं । अर्थात श्वासों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। आप इन्हें आते और जाते हुए  ध्यान लगाकर महसूस कर सकते है। अर्थात सांसों के इन्हेल और एक्सहैल पर अपना ध्यान केंद्रित करना । 

ध्यान की इस विधि पर अध्यात्म में बहुत जोर दिया गया है। श्वास पर ध्यान देने से आपके शरीर के चक्र बैलेंस होते हैं ।और आपकी सोच भी बैलेंस होती है । 

ऐंग्ज़ाइटी की समस्या से आराम: खुलकर सांस लेने से  व उन पर ध्यान लगाने से मानसिक बेचैनी अर्थात् ऐंग्ज़ाइटी की समस्या से भी मुक्ति मिलती है । किसी भी प्रकार के घबराहट भी कम होती है । 

एंग्जायटी में अगर आप ध्यान की प्रक्रिया करते हैं तो कुछ समय पश्चात आपको इसका फायदा जरूर मिलता है । 

ध्वनि पर ध्यान
ध्यान की तीसरी प्रक्रिया है ध्वनि पर ध्यान । ध्वनि पर ध्यान देने का अर्थ है अपने भीतर की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करना । 

इस प्रक्रिया के लिए अगर आप चाहे तो कोई संगीत फोन पर लगा कर या ओम का मंत्र ईयर फोन पर लगा कर सुनकर उस पर ध्यान लगा सकते हैं । परंतु ज्यादा सही या यह कहें कि बेहतर तरीका तो यह है कि आप  ईयर प्लग लगाकर बाहर की ध्वनि को रोक दें और भीतर की ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें । ईयर प्लग बड़ी ही आसानी से आपको किसी भी  मेडिकल स्टोर से  या ऑनलाइन वेबसाइट से मिल जाएगा ।

भीतर की ध्वनि अर्थात अपनी सांसों की ध्वनि अपने हृदय की धड़कन और इसके अलावा कानों के बंद करने के पश्चात मस्तिष्क में उठने वाली सन्नाटे की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करना भी इस तरीके का ध्यान है । 

आशा करती हूं कि आप को ध्यान की यहां पर बताई गई विधियां और उनकी जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आया तो इसे ज्यादा से ज्यादा लाइक एवं शेयर करें। धन्यवाद। 

No comments:

Post a Comment